वृहत्तर भारत का सांस्कृतिक वैभव
भारत एक गौरवपूर्ण विश्व धरोहर का नाम है। विश्व के अतीत से भारत को निकाल दो तो यह सत्य है कि समस्त संसार के पास फिर कुछ भी नहीं रहेगा जिस पर उसे गर्व और गौरव हो सकता हो। वैदिक सृष्टि सम्वत् के अनुसार अभी तक सूर्य और पृथ्वी लगभग 1 अरब 97 करोड़ वर्ष की यात्रा तय कर चुके हैं। इतने लंबे यात्रा काल में विश्व में जो कुछ भी आज ऐसा दिखता है जिससे मानवता गौरवान्वित हो सकती हो तो वह केवल भारत की ही देन है। बात चाहे विश्व को राजनीतिक व्यवस्था देने की हो, न्याय व्यवस्था देने की हो, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के विकास की हो, फिर चाहे स्थापत्य कला, वास्तु कला के विकास की हो सभी में भारत ने ही कीर्तिमान गढ़े हैं। ऐसे कीर्तिमान जिनका विश्व में कोई सानी नहीं है, जो अनुपम और अद्वितीय हैं। भारत पर जब विदेशी आक्रांता आक्रमण कर रहे थे, उस समय भी भारत कुछ महत्वपूर्ण कर रहा था, वैदिक संस्कृति हो या सनातन ब्रम्हा, विष्णु या आदि शिव या रामायण, महाभारत विश्व के हर स्थान पर मंदिरों के रूप में उपस्थित है- विश्व में स्थित भारत के सांस्कृतिक वैभव के अवशेषों को छायाचित्रों के माध्यम से ढूंढने का प्रयास हमने किया है। कम्बोडिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, लाओस, मलेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, अजरबैजान, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, चीन, इजिप्ट, श्रीलंका, सऊदी अरब, जापान, अफगानिस्तान, पेरू, ईरान, आदि देशों में स्थित मंदिरों के छायाचित्रों को छायाकार प्रवीण कुमार पाटोद, भोपाल ने संजोया है। हमें यह विश्वास है कि यह यात्रा और भी जारी रहेगी।