भारतीय परम्परा में विक्रम संवत् के प्रवर्तक विक्रमादित्य प्राचीन काल से ही सर्वज्ञात हैं। विक्रमादित्य सम्बन्धी प्राचीन साहित्य और लोकपरंपराएँ तो प्रचुर मात्रा में प्राप्त होती रहीं परन्तु उनके पुराप्रमाण भी मिलते रहे हैं। विक्रम संवत् वाले शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्के आदि के साथ ही हस्तलिखित प्राचीन पुस्तकें भी प्रचुर मात्रा में सैकड़ों वर्षों से प्राप्त हो रही हैं।