भारत विक्रम व्याख्यानमाला हुई सम्पन्न
ऋषियों के बताए जल नियोजन पद्धतियों को आज लागू करना होगा: डॉ. पोल
उज्जैन, 05 जून 2023। दुनिया का पहला डेम भारत के तमिलनाडु में बनाया गया था। दूसरी शताब्दी में निर्मित इस डेम का निर्माण मिट्टी और पत्थर से किया गया है। जिसकी लंबाई 330 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है। इसकी विशेषता यह है कि यह वाटर सेपरेटर मॉडल पर काम करता है। नदी को तीन हिस्सों में बांटा गया है और पानी का संरक्षण आज भी किया जा रहा है। इससे भी पहले हमारे ऋषियों वराहमिहिर, पराशर व अन्य ने जल प्रबंध और उसके संरक्षण के कई उपाय बताए है जिसे आज लागू करने और इनपर शोध करने की आवश्कता है। यह बात जाने माने विज्ञानी और संस्कृतिविद डॉ. प्रशांत पोल ने कही। डॉ. पोल ''प्राचीन भारत में जल नियोजन और उज्जैन का महत्व'' विषय पर केंद्रित भारत विक्रम व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे।
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश शासन ने विषय को गंभीर और महत्वपूर्ण मानते हुए आयोजक का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिप्रा और उज्जैन की नदियों के संरक्षण के लिए शिप्रा परिक्रमा शुरू की गई है इसी कड़ी में भारत विक्रम व्याख्यानमाला का अयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अश्विनी शोध संस्थान के प्रमुख डॉ. आर.सी. ठाकुर ने उज्जैन की जल नियोजन और प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डाला।
इसके पहले महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया और डॉ. पोल को शोधपीठ द्वारा प्रकाशित पुस्तकों विक्रम स्मृति ग्रंथ (हिंदी, इंग्लिश, मराठी), सम्राट विक्रमादित्य और अयोध्या तथा विक्रम पंचांग भेंट की। इस व्याख्यानमाला में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश पांडेय, कुलसचिव प्रशांत पुराणिक, रमन सोलंकी, शुभम शर्मा, राजेश कुशवाह, राजेश्वर त्रिवेदी सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
दिनांक: 05/06/2023