महर्षि भारद्वाज

 

        पाणिनि के पूर्ववर्ती वैयाकरण व अनेक शास्त्रों के रचनाकार महर्षि भारद्वाज। वैदिक ग्रन्थों एवं प्राचीन साहित्य में वायुवेग से उड़ने वाले अनेक विमानों का उल्लेख मिलता है। विमान निर्माण और इसके प्रयोग को लेकर रामायणकालीन महान् भारतीय आचार्य महर्षि भारद्वाज ने विमानिका शास्त्र नामक ग्रन्थ रचा था। इसमें कुल 8 अध्याय और 3 हजार श्लोक हैं। 1875 ईसवीं में दक्षिण भारत के एक देवालय में इस ग्रंथ की एक प्रति प्राप्त हुई थी। इसमें 97 अन्य विमानाचार्यों तथा 20 ऐसी कृतियों का वर्णन है जो विमानों के आकार-प्रकार के विषय में विस्तृत जानकारी देते हैं। ग्रंथ में विभिन्न प्रकार के विमान बनाने की विधियाँ है। विमान और उसके कलपुर्जे तथा ईंधन के प्रयोग तथा निर्माण की विधियों का भी सचित्र वर्णन किया गया है। इसमें विमान चलाने के बत्तीस रहस्य बताये गये हैं। उनका भली-भाँति ज्ञान रखने वाला ही उसे चलाने का अधिकारी है। विमान बनाना, उसे जमीन से आकाश में ले जाना, खड़ा करना, आगे बढ़ाना टेढ़ी-मेढ़ी गति से चलाना या चक्कर लगाना और विमान के वेग को कम अथवा अधिक करना, इस सबको जाने बिना यान चलाना असम्भव है। महर्षि भारद्वाज ने 'विमान' को परिभाषित किया है। वेग-संयत् विमानों को अण्डजानाम् पक्षियों के समान वेग होने के कारण 'विमान' कहते हैं। ऋग्वेद में लगभग 200 बार विमानों के बारे में उल्लेख है। उनमें तिमंजिला, त्रिभुज आकार के तथा तिपहिये विमानों का उल्लेख है जिन्हें अश्विनों (वैज्ञानिकों) ने बनाया था। विमान को संचालित करने के लिए महर्षि भारद्वाज ने इसके लिए तीन प्रकार के ऊर्जा स्रोतों का उल्‍लेख किया है जो विभिन्न दुर्लभ वनस्पतियों का तेल, पारे की भाप और सौर ऊर्जा के प्रयोग का उल्‍लेख किया है। युगों के अनुरूप विमानों के प्रकारों की संख्या का उल्लेख भी है। सतयुग में मंत्रिका विमानों के 26 प्रकार थे, त्रेता में तंत्रिका विमानों के 56 प्रकार थे तथा द्वापर में कृतिका (सम्मिलित) विमानों के भी 26 प्रकार थे । रामायण, महाभारत, चारों वेद, युक्तिकरालपातु (12वीं सदी ईस्वी) मायाम्तम्, शतपत् ब्राह्मण, मार्कण्डेय पुराण, विष्णु पुराण, भागवतपुराण, हरिवाम्सा, उत्तमचरित्र, हर्षचरित्र, तमिल पाठ जीविकाचिंतामणि में तथा और भी कई वैदिक ग्रंथों में भी विमानों के विषय में विस्तार से उल्लेख किया गया है। महर्षि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्व नामक ग्रंथ लिखा था, जिसमें अनेक प्रकार के यंत्र को बनाने और चलाने की विधि का वर्णन किया गया है। महर्षि भारद्वाज का एक ओर ग्रंथ अंशुबोधनी भी मिलता है जिसमें ब्रह्माण्ड विज्ञान (कास्‍मोलाजी) का वर्णन है। महर्षि भारद्वाज ने भविष्‍य की उड़ान प्रौद्योगिकी का अनुमान किया है। महर्षि भारद्वाज व्याकरण, आयुर्वेद संहिता, धनुर्वेद, राजनीतिशास्त्र, यंत्रसर्वस्व, अर्थशास्त्र, पुराण, शिक्षा आदि पर अनेक ग्रंथों के रचयिता हैं। वायुपुराण के अनुसार उन्होंने एक पुस्तक आयुर्वेद संहिता भी लिखी थी।