महात्माय लगध
वेदांग ज्योतिष ग्रन्थ की रचना करने वाले आचार्य लगध का जन्म स्थान कश्मीर माना जाता है। महर्षि सांदीपनि के गुरुकुल उज्जयिनी से अध्ययन ग्रहण करने वाले लगध के इस ग्रन्थ का रचनाकाल 1800 (ई. पू.) अनुमानित है। ज्योतिषशास्त्र के प्राचीन ग्रन्थों में आचार्य लगध प्रणीत वेदांग ज्योतिष की महत्वपूर्ण गणना की जाती है। वस्तुतः लगध ने वैदिक साहित्य के गहन अध्ययन एवं स्वयं के शोध कार्य द्वारा वेदांग ज्योतिष का सृजन किया जिसको विश्व में गणित की प्रथम सुव्यवस्थित कृति मान्य किया जाता है। लगध ने स्वयं भी इस ग्रन्थ को यज्ञार्थ कालनिर्णय के लिए ही श्रेष्ठ माना है। यह निर्विवाद है कि भारत गणित विद्या का आदि देश रहा है। नारद संहिता के अनुसार प्राचीन काल में इस देश में अष्टादश लोक विश्रुत गणितज्ञ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि लिखित ना होने के कारण वैदिक युग में विकसित अंक विद्या का अधिक उपयोग ज्ञान धीरे-धीरे विलुप्त हो गया। परंतु कालांतर में महर्षि सांदीपनि गुरुकुल उज्जयिनी के परम मेघावी अध्येता लगध ने अंक विद्या का पुनरुद्धार किया। लगध ने अनेक गणितीय संकेतों को आविष्कृत किया तथा दशमलव पद्धति का रोचक विवरण प्रस्तुत किया। कालांतर में संख्याओं को व्यक्त करने की यही विधि विश्व गणित एवं विज्ञान का मूल आधार बन गयी, जिसकी विश्व के अनेक उच्च कोटि के विद्वानों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। कालांतर में समस्त भाषाओं में इन मूल संकेतों को अंगीकृत करते हुए स्थानीय एवं मुद्रण की सुविधाओं के अनुसार उनमें कुछ परिवर्तन किये गये हैं, किंतु इनके मूल में वही 'भारतीय अंक' है जिसकी खोज पुरातन काल में कश्मीरी विद्वान आचार्य लगध ने की थी। लगध विश्व में बीज गणित के मूल प्रवर्तक थे जिन्होंने दो अज्ञात राशियों से किसी अज्ञात राशि का मान ज्ञात करने की विधि का वर्णन किया है। उन्होंने ही सांदीपनि गुरुकुल में आयोजित विद्वानों की एक सभा में अपनी एक व्याख्या को प्रस्तुत करते हुए पहली बार षडहों के नामकरण अर्थात् छह दिनों के नाम रवि, सोम, मंगल, बुध, बृहस्पति तथा शुक्रवार निर्धारित किये थे। कालांतर में सात दिनों का सप्ताह मान्य किया गया तथा शनिवार को जोड़कर दिनों के वही ना पुनः नामांकित कर दिये गये। वस्तुतः लगध द्वारा रचित वेदांग ज्योतिष का मूल उद्देश्य गणित के अनुप्रयोग द्वारा एक ऐसी पंचांग पद्धति का विकास करना है जो सरल ढंग से चंद्र वर्ष एवं सौर वर्ष के मध्य सामंजस्य स्थापित कर सके इस कार्य में लगध पूर्णतः सफल रहे।